Shabar Mantra PDF | शाबर मंत्र

Shabar Mantra PDF : शाबर मंत्र सबसे प्रचलित और अत्यधिक शक्तिशाली मंत्र ह. यह बहुत जल्द परिणाम लाने की क्षमता के लिए श्रद्धेय है।

मूल रूप से ग्रामीण भाषाओं में पाया जाता है, मंत्र का दुनिया भर में कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

कई पाठक इन मंत्रों के जप के अनुष्ठान के बावजूद वांछित परिणाम प्राप्त करने में असमर्थ होने की शिकायत करते हैं। पुस्तक में मंत्र सिद्धि के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिसमें जप का सही तरीका, विचार करने के लिए विभिन्न मुद्राएँ, उच्चारण और बहुत कुछ शामिल हैं

शाबर मंत्र क्या है? यह कब अस्तित्व में आया? यह कैसे काम करता है? यह पुस्तक इन प्रश्नों और इस मंत्र की शक्ति के पीछे के रहस्य को हल करती है।

सही आसन, माला और जप का पालन करने के अलावा, कई अन्य चीजें मंत्र की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं जैसे कि अपने गुरु के प्रति व्यक्ति का समर्पण और बहुत कुछ

ऐसा माना जाता है कि शाबर मंत्र मूल रूप से भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को दिया गया था, जो सभी ज्ञान और शक्ति का अवतार हैं।

भगवान शिव अलग-अलग अवतारों जैसे कि शबर, किरात और भील में प्रतिष्ठित थे, उन्होंने कठोर तपस्या की थी। उनकी पत्नी, देवी पार्वती भी उनके साथ भेल के भेष में थीं। जैन धर्म और इस्लाम सहित अन्य धर्मों में भी इस मंत्र का बहुत महत्व है।

मुस्लिम शाबर मंत्र मेमडापर ’के रूप में प्रसिद्ध है। पुस्तक में विभिन्न प्रसिद्ध और प्रचलित मंत्रों का संग्रह शामिल है। प्राचीन ग्रंथों और शास्त्रों से संदर्भ लिया गया है।

Importance Things Related to Shabar Mantra pdf

  • शाबर मंत्रों के जप के उपरांत किये जाने वाले हवन-पूजन आदि में, जहां हवन-सामग्री का उल्लेख न
    हो, बाजार में बंद पैकेट में बिकने वाली साधारण सामग्री, गुग्गुल अथवा शुद्ध घी से हवन करना
    चाहिए।
  • हवन के समय वैदिक या तांत्रिक मंत्रों की तरह मंत्र के अंत में ‘स्वाहा’ अलग से उच्चारित करने की
    जरूरत नहीं होती। चयनित मंत्र जैसे भी लिखा और जपा हो मंत्र को उसी अवस्था में बोलकर हवन में
    आहुति देना होता है।
  • साधक को साधनाकाल में रक्षा मंत्रों की भी आवश्यकता होती है। जो साधक तांत्रिक ‘कवच’ आदि का
    पाठ करते हैं, उन्हें शाबर रक्षा मंत्रों के जप की आवश्यकता नहीं होती।
  • .जिन मंत्रों की साधना-विधि न दी गयी हो, उनके संबंध में किसी भी विधि का पालन आवश्यक नहीं है। भ्रमित होने की जगह अपने संतोष के लिए सामान्य विधि का विधान स्वयं कर सकते हैं।मंत्र का प्रयोग करने में साधक की असफलता की अनेक वजहें हो सकती हैं, जिनमें से एक उसकीग्रह दशा भी हो सकती है।
  • शाबर मंत्रों की साधना कोई भी प्रातःकाल या रात्रि में किसी भी समय कर सकता है, लेकिन रात्रिकाल शाबर मंत्रों के जप के लिए सबसे उत्तम है। साधक को साधनकाल में प्रयोग किये जाने हेतु लाल रंग के रेशमी अथवा सूती आसन का चुनाव करना चाहिए।
  • जिन शाबर मंत्रों के प्रयोगों में मद्य, मांस आदि देवता को अर्पित करने का निर्देश हो, वहां उन्हें उनके
    मूल रूप में ही दिया जाता है। इनमें अनुकल्पों को प्रयोग में नहीं लाते हैं।
  • शाबर मंत्र अबोध अथवा जिद्दी स्वभाव वाले शिशु की भाषा के रूप में होते हैं। इसलिए जो साधकशिशु के समान निश्छल, निष्कपट और सरल होगा, उसके मंत्र चमत्कारिक ढंग से कार्य करेंगे।
  • यह भी हो सकता है कि जितनी एकाग्रता और श्रद्धा की आवश्यकता उस साधना में होनी चाहिए थी, उसकी कमी रही हो। ऐसी स्थिति आने पर उचित समय देखकर पुनः उसीमंत्र की साधना की पुनरावृत्ति करनी चाहिए
  • आज अहंकार से वशीभूत होकर साधक या व्यक्ति गुरुओं की उपेक्षा कर रहें हैं। जिस कारण उन्हें अभीष्ट सिद्धि ग्रहण नहीं होती। इसके साथ-साथ विद्या की भी हानि होती है क्योंकि क्यों साधना का फल न मिलने पर लोगों का विश्वास खंडित होता है। परिणामतः इस विद्या के प्रति आस्था समाप्त हो जाती है।

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